बुधवार, 25 फ़रवरी 2015
सोमवार, 23 फ़रवरी 2015
माता पिता की सेवा और सनातन धर्म
सनातन धर्म पर पर मुस्लिम प्रभाव ---
लगभग १००० साल तक भारत पर मुसलमान शासकों ने शासन किया और हमारी संस्कृति और परम्पराओं को परिबर्तित करने के लिए साम दाम दण्ड भेद का सहारा लिया यह सभी को ज्ञात है मगर मुसलमानों से प्रभावित होकर या भोग से भ्रमित होकर हिन्दू माता पिता ने अपनी मूल परम्परा को त्यागकर मुस्लिम परम्परा को संयुक्त परिवार की परम्परा में शामिल किया हे। माता पिता के संदर्भ में गोस्वमी जी लिखते हैं --- मातु पिता प्रभु गुरु की वाणी , बिना बिचार किये शुभ जानी। गोस्वमी जी के उक्त बचनों के अर्थ की आड़ में माता पिता ने सनातम धर्म की सर्वोत्तम जीवन शैली ग्रहस्त आश्रम के अंग बानप्रस्थ आश्रम को नकार दिया हे या उसकी उपयोगिता पर प्रश्नचिन्ह लगाकर मुस्लिम प्रभाव से प्रभावित होने का सबूत दिया है आइये दोनों धर्मो की ब्याख्या देखें , हिन्दू धर्म की परम्पराओं के मानक ग्रन्थ मनु स्मृति के अनुसार -- आपके बच्चो की शादी करने के बाद जब आपका पुत्र पिता बन जाये तब आपकी पारिवारिक जिम्मेदारी पूर्ण हो जाती हे इसके बाद आप घर और समस्त गृहस्त के सुख भोग का त्याग करके बानप्रस्थ आश्रम अर्तार्थ निर्जन स्थान या बन में सन्यासी की भांति भगवान का भजन करते हुए शेष जीवन ब्यतीत करें , बच्चों के पालन - पोषण के संबंध में हमारी मान्यता हे की हमारे ऊपर माता पिता का ऋण होता हे , जब हम अपने बच्चों का पालन पोसन करते हे तभी हम माता पिता के ऋण से मुक्त होते हैं और इस प्रक्रिया से मानव जाती का अस्तित्व निरंतर बिकसित होता रहता है। दूसरी तरफ इस्लाम धर्म कहता है की आदमी को पत्नी और बच्चे जिनका वह पालनकर्ता हे खुदा ने उसकी खिदमत के लिए दिए हैं ,ऐसी मान्यता को मानकर मुसलमान इस्त्री को शुख भोगने और बच्चे पैदा करने की मशीन समझकर उसे बुरका के साथ अनेक प्रतिबंधों में रखता है और जीवन पर्यन्त उनसे खिदमत करवाता है। हमारी बदली हुए पारिवारिक परम्पराओं का प्रभाव हिंदी सिनेमा में में भी देखने को मिलता है अभी हाल में ऐसी पृष्टभूमि पर बनी अमिताभ बच्चन की फिल्म वागवान जो की हिन्दू परिवार की कहानी हे में माता - पिता को कोई लड़का साथ नहीं रखना चाहता और फिल्म आजकल के बच्चों को दोषी करार देती हे जबकि हमारी सनातन मान्यताओं के अनुसार बच्चों के साथ रहने की सोच ही गलत है। बानप्रस्थ के संबंध में कहा गया है की आप को बन में न जाकर केवल बच्चों से अलग सभी बिस्यों में आसक्ति को त्यागकर रहना है। आज हिन्दू परिवार ग्रह कलह से त्रस्त है जिसमे सास - बहू के संबंध नित नै कड़वाहटों से भरते जा रहे हैं . हिन्दू परिवारों की अशांति का कारण हमारे बुजुर्गों द्वारा मुस्लिम प्रभाव का अन्धानुशरण ही है
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